"कामिनी एक अजीब दास्तां"।
कामिनी भाग ७
महल में चेतन दिव्य भोगों को भोगता है अनेक व्यंजनों को खाकर और सोमरस का पान करके वह शयनकक्ष में लेट जाता है, तभी कामिनी भी उसके पास आकर बैठ जाती है और उसके गालों को चुमकर प्रेम का आग्रह करती है पर चेतन उसे साफ इंकार कर देता है फिर रात्रि भी चेतन को भड़काने का प्रयास करती है और विफल हो जाती है, जब चतुर कामिनी और रात्रि के सभी प्रयास असफल हो जाते हैं तो वह अपना भयानक डरावना पिशाचीनी का रूप धारण कर लेती है, उन दोनों के सिंह जैसे भयानक नाखून और मुंह में बड़े-बड़े नुकीले दांत निकल आते हैं।
अगर कोई और होता तो उनके इस भयानक रूप को देखकर भय से ही मर जाता पर यह अजीब इंसान जरा भी भयभीत नहीं होता, अपितु और खुश हो जाता है और दोनों के गालों को चुमता है और उनको गले लगाता है।
जैसे वह जानता है कि यह उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी और होता भी कुछ एसा ही है, यह दोनों पिशाचीनी अपने भयानक रूप लेकर खड़ी तो है पर अपनी किसी विवशता के कारण चेतन को हानि पहुंचाना तो दूर एक धमकी भी नहीं दे पाती है और साथ ही वह चेतन के अजीब व्यक्तित्व से भी चकित हो जाती है कि वहा उनको सुंदर रूप में छुना भी पसंद नहीं कर रहा था और अब जब उन्होंने भयानक रूप धारण कर लिया है तो वह उनसे प्रेम करने लगा है।
तभी कामिनी कहती है - "तुम इंसान हो या कोई राक्षस हो, तुम्हें हमारा इतना भयानक, विकराल रूप देखकर जरा भी डर नहीं लगा, तुम्हारे अदम्य साहस, धैर्य और वीरता ने हमें आश्चर्य में डाल दिया है, कौन हो तुम"?
मैं भूतनियो, राक्षसनियो, पिशाचिनीयो और चुड़ैलों का दीवाना हूं, सारी दुनिया चुड़ैलों से डरती है पर मैं बचपन से चुडैलो से प्यार करता हूं और आज, जब तुम, मुझे मिल गई हो तो डरने की क्या जरूरत है"? "तुम्हारा यह रुप संसार के लिए भयभीत करने वाला होगा पर मेरे लिए यह रुप बहुत ही प्यारा है, मैं, तुम दोनों से विवाह के बाद ही मिलन करूंगा, मैं दशहरे के दिन अपनी बारात लेकर आऊंगा, तुम दोनों तैयार रहना,मेरी जानेमन"!
"ठीक है कल हम दोनों तुम्हारा इंतजार करेंगे"। कामीनी ने कहा
"कल नहीं, क्योंकि दशहरे में अभी लगभग 1 महीने का समय बाकी है"। चेतन ने कहा
चेतन की यह बात सुनकर दोनों हंसने लगती है फिर चेतन दोनों पिशाचनियों के साथ महल से बाहर आता है और देखता है कि उस उपवन में सैकड़ों युवक बैठे हैं और अत्यधिक खुश हैं, उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोई उनके साथ है पर चेतन को कोई दिखाई नहीं आ रहा है, बेवजह उन युवकों को इतना खुश और संतुष्ट देखकर चेतन को बड़ा आश्चर्य होता है और वह पास खड़ी रात्रि से पूछता है - "यह इतने सारे युवक अकेले हो कर भी इतने खुश क्यों है"?
"कौन कहता है यह सभी युवक अकेले हैं? "वह इन सबके साथ है, जब तुम्हें उनके जैसी नजर मिल जाएगी तो तुम भी इनकी तरह बहुत खुश हो जाओगे और सब कुछ पाकर हमेशा के लिए यहीं रह जाओगे"। रात्रि ने कहा
चेतन फिर रात्रि और कामिनी के बड़े-बड़े दांतो को अपनी उंगली के नाखून से टन टन बजाता है और फिर उन दोनों के नुकीले नाखूनों को चुमता है और वापस स्टेशन आ जाता है।
स्टेशन पर पारुल अपना उदास चेहरा लिए बैठी है पर वह जैसे ही चेतन को देखती है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता और वह दौड़ती हुई आकर चेतन से लिपट कर रोने लगती है।
चेतन पारुल के हृदय की स्थिति को भाप कर कहता है - "1 घंटे में, मेरे बिना तुम्हारा इतना बुरा हाल हो गया"।
"आप 1 घंटे से नहीं, 1 महीने से लापता है सर, मैंने, आपको सब दूर बहुत ढूंढा पर आप कहीं नहीं मिले"। पारुल ने कहा
चेतन जानता है वह कामिनी की रहस्यमई दुनिया से लोटा है, जहां समय निश्चित तौर पर हमारी दुनिया से अलग हो सकता है और वह पढ़ा लिखा होने के कारण आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत से भी परिचित है, जिसके अनुसार पीड़ा का अनुभव और खुशी का अनुभव समय की रफ्तार को परिवर्तित कर देता है।
फिर चेतन पारुल से पूछता है -"दशहरा कब है"?
"सर"! "कल ही दशहरा है और एक बात, नवरात्रि शुरू होते ही गुरुदेव यहां आ चुके हैं और नदी के किनारे ध्यान लगाए बैठे हैं, उन्होंने मुझसे कहा था, कि मैं 9 दिनों तक ध्यान समाधि में रहूंगा और कामिनी के अतीत का संपूर्ण ज्ञान ग्रहण करके ही उठूंगा"।
"और वह पागल प्रोफ़ेसर कहां है"? चेतन ने पूछा
"उस प्रोफ़ेसर को गुरुदेव अपने साथ ले गए"।
"ठीक है! "पारुल! "खलासी धर्मदेव के साथ गांव जाओ और उनसे कहो कि कल सी, बी, आई आफिसर चेतन चुड़ैल की शादी है, इसीलिए उन्होंने पुरे गांव को आज खाने पर बुलाया है"। चेतन ने कहा
"क,,क,, "क्या आप शादी कर रहे है पर किस के साथ"? पारुल ने लड़खड़ाते स्वर में कहा।
"दो चुड़ैलों से पर यह बात, गांव वालों को मत बताना"।
"सर! "यहां की चुड़ैल बहुत खतरनाक है, मैंने सुना है वह, अपने आशिक का दिल निकाल कर खा जाती है, इसमें बहुत खतरा है"।
"जितना कह रहा हूं उतना करो, मुझे कल रावण दहन के साथ कामिनी का भी दहन करना है"।
फिर पारुल खलासी धर्मदेव के साथ गांव में न्योता देने चली जाती है और चेतन स्टेशन मास्टर और कांस्टेबल गोपालनाथ से मुखातिब होकर कहता है - "आपके गांव में दो बहुत ही खतरनाक पिशाचीनी रहती है, जिन्होंने इस गांव के सैकड़ों युवकों को अपना गुलाम बना रखा है"।
"लगता है आप भी इस पागल गांव में आकर थोड़े पगला गए हो, यहां ऐसा कुछ नहीं है, सब अफवाहें हैं"। केदारनाथ ने कहा
"आपको मेरी बात पर यकीन नहीं है"। चेतन ने पूछा
"जी बिल्कुल नहीं है"।
"आप कोई ऐसी चीज मांगीए जो इस गांव में नहीं मिलती है, मैं आपको अभी ला कर देता हूं"। चेतन ने कहा
"अरे साहब लगता है आप, सच में सठिया गए हो फिर भी हम तो खाने-पीने के शौकीन हैं, आप, एक काम करिए 1 किलो गुलाब जामुन और 1 किलो जलेबी ले आईये, गरमा गरम, तो मान जाऊंगा"।
"आपके लिए भी कुछ ले कर आऊं गोपाल नाथ जी"? चेतन ने पूछा
"इस गांव में किसी के पास घोड़ा नहीं है और मुझे घुड़सवारी का बड़ा शौक है, आप एक घोड़ा ले आईए"।
"घोड़े की जगह घोड़ी चलेगी"। चेतन ने कहा
"ठीक है घोड़ी ही ले आइए"
फिर चेतन गांव के जंगल में आता है और जोर से कामिनी और रात्रि को पुकारता है
"क्या हुआ! इतनी जल्दी लौट आए। चेतन के पीछे से कामिनी ने कहा
चेतन पलट कर कमीनी को देखता, तभी उसके पीछे से रात्रि कहती है
"हमारे बिना कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, तुम्हारी बेचैनी बता रही हैं"।
"ठीक है! "एक मेरे सामने है और एक मेरे पीछे हैं, इसीलिए तुम दोनों ध्यान से सुनो, मैंने, तुम्हारी दुनिया में एक घंटा बिताया जो इस दुनिया का एक महीना बीत गया, इसलिए मेरी दुविधा यह है कि मैं तुमसे शादी का वादा करके भूल उलझ गया हूं, कल ही दशहरा है और मुझे बहुत सारी तैयारी करना है पर शहर होता तो, मैं सारी तैयारी एक दिन में कर लेता पर यहां ना तो मेरे पास बारात लाने के लिए घोड़ी है, ना बारातियों को खिलाने के लिए खाना है, इसीलिए तुम दोनों से विनती करता हूं, तुम, मेरे साथ शहर चलो, वहां कोई आलीशान होटल बुक करके शादी करेंगे"।
"हम शहर तो नहीं आ सकती, पर तुम जो कहोगे वह जरूर दे सकती हैं"। कामिनी ने कहा
मुझे एक घोड़ी चाहिए और शादी की खुशी में, मैंने पूरे गांव को आमंत्रण भेजा है इसलिए पूरे गांव वालों के लिए बहुत ही लजीज भोजन चाहिए"। चेतन ने कहा
तभी कामिनी अपनी चोटी का एक बाल तोड़ती है और जैसे ही उसे जमीन पर फेंकती है तो वहां एक घोड़ी प्रकट हो जाती है और सैकड़ों प्रकार के व्यंजन से भरे बड़े-बड़े बर्तन के थाल प्रकट हो जाते हैं
यह देख चेतन कहता है - "वाह जानेमन! "कल तुम दोनों सज संवर कर के तैयार रहना और अपने सभी चुड़ैल सखियों को भी बुला लेना"।
"हमने तुम्हारी इतनी सारी शर्तें मानी अब तुम भी हमारी एक शर्ट तो मान लो, कल बारात में युवकों को ही लेकर आना, वृद्धों को मत लाना"।
"युवक तो इस गांव में एक भी नहीं है"। चेतन ने कहा
"नहीं है तो बाहर से बुलवा लो"। रात्रि ने कहा
"कोशिश करूंगा पर अभी बहुत भूख लग रही है, इसीलिए थोड़े गुलाब जामुन, जलेबी ले जा रहा हूं"।
फिर चेतन घोड़ी पर बैठकर हाथों में गुलाब जामुन और जलेबी लेकर स्टेशन पहुंचता है तो गोपाल नाथ और केदारनाथ की आंखें फटी की फटी रह जाती है, उन दोनों को भी यकीन हो जाता है कि वाकई इस गांव में कुछ तो अजीब है फिर दोनों गुलाब जामुन जलेबी का मजा उड़ा कर मान लेते हैं कि यहां से चुडेल हैं।
शाम के वक्त चेतन पारुल के साथ, नदी किनारे गुरुदेव के पास आता है, जहां गुरुदेव ध्यान में बेठे हैं और पास में प्रोफेसर बैठा है, चेतन अपना चश्मा निकालकर, गुरुदेव को पहना देता है और उनके सामने बैठ जाता है।
"सर! "अगर गुरुदेव क्रोधित हो गए तो आप को मुर्गा बना देंगे"। पारुल ने दबे शब्दों मैं कहा
तभी गुरुदेव कहते हैं - "तुम जो करने जा रहे हो, उसमें बारातियों की जान को खतरा है, तुम उन पिशाचिनीयो की शक्ति से अनजान हो"।
"मैं उन दोनों की पिशाचिनियों की कमजोरी को पहचान गया हूं, कल रावण दहन से पहले, में उन दोनो का दहन कर दूंगा"। चेतन ने जोश से कहा
"वहां दो नहीं, एक हजार एक शापित पिशाचीनीया है"। गुरुदेव ने कहा
"आखिर किस श्राप से शापित है वह एक हजार एक पिशाचिनीया"?
"आखिर क्या रहस्य है कामिनी की दुनिया का, जहां का एक घंटा 1 महीने के बराबर होता है"?
"आखिर क्या मजबूरी थी काम ही नहीं और रात्रि की जो वह चाहकर भी चेतन का कुछ नहीं बिगाड़ पाए"?
"आखिर क्या रहस्य जान लिया है चेतन ने, जिससे वह कामिनी और रात्रि का सर्वनाश कर सकता है"?
अपने सभी प्रश्न और सस्पेंस के उत्तर जानने के लिए पढ़ते रहिए
"कामिनी एक अजीब दास्तां"
Seema Priyadarshini sahay
19-Feb-2022 04:52 PM
बहुत बढ़िया भाग
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Archita vndna
19-Feb-2022 03:41 PM
Very intresting story h aapki padhkr achcha lg rha h
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क्रिया क्रिया
19-Feb-2022 02:59 PM
Wow it's amazing story. Eagerly waiting for next
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